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तंत्र मंत्र साधना विधि

तंत्र-मंत्र साधना भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य आत्म-शुद्धि, मन की एकाग्रता, आत्मबल बढ़ाना और ईश्वर या शक्ति से जुड़ाव बनाना होता है। यह कोई जादू या गलत कार्य करने का साधन नहीं है, बल्कि अनुशासन और साधना का मार्ग है।

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🌙 तंत्र, मंत्र और साधना का अर्थ

गुरु का मार्गदर्शन: तन्त्र-मन्त्र की विद्या अत्यंत शक्तिशाली और जटिल होती है। बिना किसी योग्य गुरु या विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के इनका अभ्यास करना मानसिक या शारीरिक रूप से हानिकारक हो सकता है।
शुद्धता और उद्देश्य: शास्त्र कहते हैं कि इन शक्तियों का उपयोग हमेशा जनकल्याण और स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति के लिए करना चाहिए। नकारात्मक उद्देश्यों (अभिचार कर्म) के लिए इनका प्रयोग अंततः कर्ता का

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तंत्र (Tantra)

तंत्र का मतलब होता है — शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित कर ऊर्जाओं को सही दिशा में लगाना।
यह साधक को गुप्त शक्तियों और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है।

मंत्र (Mantra)


“मन” + “त्र” = मंत्र
जिसका अर्थ है “मन को नियंत्रित करने वाला”।
यह ध्वनि-शक्ति होती है, जिसे सही उच्चारण और भावना से जपा जाए तो उसका प्रभाव साधक के जीवन पर पड़ता है।

साधना


साधना का मतलब है — “नियमित रूप से किसी शक्ति या देवी-देवता की उपासना करना” ताकि आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त हो सके।

तंत्र-मंत्र के बारे में बताने वाले तीन महान संत/महापुरुषों के विचार

“मंत्र तभी जीवित होता है,
जब उसे श्रद्धा, पवित्रता और प्रेम से जपा जाए।”

– श्री रामकृष्ण परमहंस

“तंत्र न कोई जादू है, न ही भय का कारण।
यह देह, मन और प्राण को साधने की विद्या है।”

– गुरु गोरखनाथ


“तंत्र वह मार्ग है
जहाँ साधक स्वयं को ही शक्ति रूप में पहचान लेता है।”

– आचार्य अभिनवगुप्त (कश्मीरी शैव दर्शन)

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